शिमला की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच बसा तारा देवी मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि आत्मिक शांति, भक्ति और प्राकृतिक सौंदर्य का अनोखा संगम भी है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 7200 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और शिमला शहर से लगभग 11 किलोमीटर दूर शोगी के रास्ते पर स्थित है।
यह स्थान उन लोगों के लिए एक स्वर्ग जैसा है जो भीड़भाड़ से दूर, शांत वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करना चाहते हैं।
तारा देवी मंदिर का इतिहास लगभग ढाई शताब्दियों पुराना माना जाता है। जनश्रुति के अनुसार, सेन राजवंश के शासक भूपेंद्र सेन को एक रात्रि स्वप्न में माता तारा के दर्शन हुए और उन्होंने इस स्थान पर मंदिर बनवाने का निश्चय किया। बाद में राजा बलबीर सेन ने अष्टधातु की देवी की मूर्ति स्थापित की और मंदिर को एक धार्मिक धरोहर बना दिया।
देवी तारा, बौद्ध और हिंदू दोनों परंपराओं में पूजनीय हैं। उन्हें ज्ञान, शक्ति और रक्षा की देवी माना जाता है।
तारा देवी मंदिर की वास्तुकला हिमाचली पहाड़ी शैली में है, जिसे "काठ-कुणी" कहा जाता है। इसमें लकड़ी और पत्थर का उपयोग किया गया है। मंदिर की छतें पारंपरिक ढंग से बनी हैं और दीवारों पर लकड़ी की सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है।
2018 में मंदिर का भव्य पुनर्निर्माण किया गया, जिसमें पारंपरिक डिज़ाइन को बनाए रखते हुए आधुनिक स्थायित्व को जोड़ा गया। आज मंदिर परिसर में पूजा स्थल के अलावा एक छोटा बगीचा, विश्राम स्थल और सुविधाजनक रास्ते हैं।
तारा देवी मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण सिर्फ उसकी आध्यात्मिकता नहीं, बल्कि वहां से दिखने वाला 360 डिग्री का पर्वतीय दृश्य है। मंदिर से बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियाँ, हरे-भरे जंगल और दूर-दूर तक फैली घाटियाँ साफ़ दिखाई देती हैं।
मंदिर के चारों ओर देवदार, ओक और चीड़ के वृक्ष हैं, जो ठंडी हवा के साथ एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
मुख्य पूजा विधियाँ:
मंगल आरती
दुर्गा सप्तशती पाठ
विशेष हवन एवं यज्ञ
कन्या पूजन (नवरात्रों में)
शिमला से तारा देवी मंदिर की दूरी लगभग 11 किमी है। आप निजी गाड़ी, टैक्सी या लोकल बस से यहाँ तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
शोगी बाईपास के रास्ते से यह मार्ग बहुत सुंदर और सुगम है।
तारा देवी रेलवे स्टेशन मंदिर के पास स्थित है। स्टेशन से मंदिर तक आप पैदल जा सकते हैं या लोकल टैक्सी ले सकते हैं।
अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो ट्रैकिंग रूट आपके लिए एक अद्भुत अनुभव होगा। जंगल के रास्तों से होकर यह ट्रैक लगभग 3 से 4 किमी का है, जो ताजगी और ऊर्जा से भरपूर होता है।
शिमला मॉल रोड – तारा देवी मंदिर से लौटते समय एक शाम मॉल रोड पर ज़रूर बिताएँ।
भारतीय रेल संग्रहालय, शिमला – स्टेशन के पास एक अनोखा संग्रहालय है।
भोजन व्यवस्था: मंदिर के पास लोकल ढाबे और टेंट कैफे हैं, जहाँ पहाड़ी भोजन का स्वाद लिया जा सकता है।
यात्रा सुझाव:
आरामदायक जूते पहनें, विशेष रूप से अगर ट्रेकिंग का मन है।
सर्दियों में पर्याप्त ऊनी वस्त्र साथ रखें।
त्योहारों में भीड़ अधिक होती है, इस समय यात्रा पूर्व बुकिंग करना अच्छा रहेगा।
तारा देवी मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ शांति, भक्ति और प्रकृति का त्रिवेणी संगम होता है। यहाँ आकर मन को जो सुकून मिलता है, वह शब्दों में नहीं कहा जा सकता।
अगर आप शिमला की यात्रा पर हैं, तो तारा देवी मंदिर को अपने कार्यक्रम में शामिल करना न भूलें। यहां की वादियों में बसी देवी माँ की शक्ति और कृपा आपको अवश्य अनुभूत होगी।