Jun 19, 2025

भगवान श्रीराम के जन्म का पावन पर्व

भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में राम नवमी का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है, और यही वह दिन माना जाता है जब भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। श्रीराम केवल एक राजा या पात्र नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और आदर्श जीवन के प्रतीक हैं। उनका जीवन आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

श्रीराम का जन्म और उनका उद्देश्य
राम नवमी के दिन अयोध्या नगरी में राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर भगवान राम का जन्म हुआ। कहते हैं कि रावण के अत्याचारों से धरती त्रस्त हो चुकी थी और तभी भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया, ताकि धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश हो सके।

श्रीराम का जीवन एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति और आदर्श राजा के रूप में देखा जाता है। उन्होंने हर रिश्ते में मर्यादा और प्रेम का पालन किया।

राम नवमी की पूजा और परंपराएं
राम नवमी के दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और दिनभर भगवान राम का स्मरण करते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, राम कथा, कीर्तन और झांकियों का आयोजन होता है। कुछ स्थानों पर रामलीला का मंचन भी किया जाता है, जिसमें उनके जीवन की घटनाओं को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

भक्त अपने घरों में भी भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियों की स्थापना करके पूजन करते हैं। घरों में अखंड रामायण पाठ, कीर्तन और भजन संध्या का आयोजन किया जाता है।

व्रत का महत्व
राम नवमी के दिन व्रत रखने से मन की शुद्धि होती है और आत्मा को शांति मिलती है। कुछ भक्त केवल फलाहार करते हैं, तो कुछ जल और फल पर ही रहते हैं। यह व्रत आत्मसंयम और भक्ति की परीक्षा भी माना जाता है।

राम नवमी का सांस्कृतिक पक्ष
राम नवमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का उत्सव है। यह दिन सत्य, न्याय और करुणा जैसे मूल्यों की याद दिलाता है। श्रीराम के चरित्र में निहित शिक्षाएं आज भी सामाजिक जीवन के हर पहलू में प्रासंगिक हैं।

श्रीराम का जीवन हमें सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और धर्म का पालन कैसे किया जाए। exile (वनवास) में उनका संयम, सीता माता के प्रति उनकी निष्ठा और रावण के साथ युद्ध में उनका न्यायपूर्ण व्यवहार, सबकुछ एक सच्चे नेता और मानव के गुणों को दर्शाता है।

बालक राम से मर्यादा पुरुषोत्तम तक
राम नवमी पर हम केवल उनके जन्म का उत्सव नहीं मनाते, बल्कि उनके पूरे जीवन से प्रेरणा लेते हैं। बचपन में ऋषि विश्वामित्र के साथ यज्ञ रक्षा, ताड़का वध, जनकपुर में शिव धनुष तोड़कर सीता स्वयंवर जीतना – ये सब घटनाएं बताती हैं कि भगवान राम ने बाल्यकाल से ही धर्म और कर्तव्य का पालन करना शुरू कर दिया था।

आज के संदर्भ में श्रीराम
आज के युग में जहां नैतिक मूल्य धीरे-धीरे कमजोर हो रहे हैं, श्रीराम का आदर्श जीवन हमें कर्तव्यनिष्ठा, धैर्य, सच्चाई और सेवा भावना की ओर लौटने का संदेश देता है। वे एक ऐसे चरित्र हैं जो न केवल धार्मिक ग्रंथों में हैं, बल्कि हर भक्त के हृदय में बसे हुए हैं।


राम नवमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और आत्मिक उत्थान का अवसर है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि ईश्वर स्वयं भी जब मानव रूप में अवतरित होते हैं, तो जीवन में सत्य, त्याग और प्रेम को सर्वोपरि रखते हैं।