Jun 10, 2025

माँ महागौरी नवदुर्गा का आठवां रूप

नवरात्रि के आठवें दिन, माँ दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है।महा का अर्थ है महान और गौरी का अर्थ है उज्ज्वल या श्वेत।माँ महागौरी का स्वरूप अत्यंत कोमल, सौम्य और शांतिदायक है। इनका रंग पूर्णतः श्वेत होता है, जैसे हिम की शुद्धता।माँ महागौरी को करुणा की मूर्ति कहा जाता है। इनकी आराधना से भक्त के जीवन में शांति, सौंदर्य, सुख और समृद्धि का वास होता है।

माँ महागौरी की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया।इस दौरान वे हिमालय पर्वत पर वर्षों तक भूखी-प्यासी रहकर तप करती रहीं।इस कठोर तप से उनका शरीर काला और कृश हो गया।जब भगवान शिव ने उनके तप से प्रसन्न होकर उन्हें स्वीकार किया, तो उन्होंने गंगा जल से माँ को स्नान कराया।स्नान करते ही माँ पार्वती का शरीर गौर वर्ण (श्वेत) हो गया और वे महागौरी नाम से प्रसिद्ध हुईं।

 माँ महागौरी का स्वरूप

माँ महागौरी का रूप अत्यंत मंगलकारी, शांत और सौंदर्य से परिपूर्ण होता है:उनका रंग दूध की तरह उज्ज्वल होता है।वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं।उनके पास चार भुजाएँ होती हैं:एक में त्रिशूलदूसरे में डमरूतीसरा हाथ वरमुद्राऔर चौथा अभयमुद्रा में होता हैवे  नंदी की सवारी करती हैं, जो उनके शिवत्व का संकेत देता है।उनका रूप दर्शाता है कि जीवन में पवित्रता, मन की शांति और सरलता सबसे बड़ी शक्तियाँ हैं।

 पूजा विधि 

माँ महागौरी की पूजा मुख्यत अष्टमी को होती है, जिसे महाअष्टमी भी कहा जाता है।प्रातः स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण करें।माँ महागौरी की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।उन्हें सफेद फूल, नारियल, दुर्गा सप्तशती, और शुद्ध घी का दीप अर्पित करें।काले चने का भोग और हलवा-पूड़ी का प्रसाद चढ़ाएं।कन्या पूजन भी इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।

नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें:

ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

या

श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

अंत में माँ की आरती करें और सबमें प्रसाद वितरित करें।

माँ महागौरी का महत्व

माँ महागौरी मन और शरीर की शुद्धि प्रदान करती हैं।इनकी उपासना से विवाह बाधा दूर होती है, विशेषकर कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है।जीवन में यदि क्लेश, अशांति या मानसिक अशुद्धता हो, तो महागौरी की आराधना अमोघ होती है।माँ की उपासना से कुंडलिनी जागरण के ‘सहस्त्रार चक्र’ की ऊर्जा सक्रिय होती है।वे भक्तों को धैर्य, पवित्रता और शांति का वरदान देती हैं।

 माँ महागौरी से जुड़ी विशेष बातें

माँ महागौरी को शुभ्रता, कोमलता और करुणा की देवी माना जाता है।वे परम सौंदर्य और उच्च चेतना की प्रतीक हैं।उनके भक्तों के जीवन में मानसिक और भावनात्मक शुद्धता, संतुलन और प्रेम का संचार होता है।इनकी पूजा के बाद जीवन में प्रेम, वैवाहिक सुख और पारिवारिक समृद्धि बढ़ती है।

 महागौरी के प्रमुख मंदिर

विंध्याचल धाम उत्तर प्रदेश में माँ महागौरी की आराधना विशेष रूप से होती है।कालिका मंदिर, दिल्ली, औरगुजरात के शक्ति पीठों में भी माँ महागौरी की मूर्तियाँ स्थापित हैं।कुछ लोग उन्हें वृद्धा में भी पूजते हैं, जो ज्ञान और अनुभव की देवी का रूप है।

माँ महागौरी का स्वरूप हमें यह सिखाता है कि शुद्धता और संयम में ही असली शक्ति है।उनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति, प्रेम और पवित्रता का वास होता है।यदि आप अपने जीवन में आंतरिक शुद्धता, मानसिक शांति और सौम्यता की तलाश कर रहे हैं, तो माँ महागौरी की उपासना सबसे श्रेष्ठ उपाय है।