शिमला ,हिमाचल प्रदेश की राजधानी और भारत के सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन में से एक, जहां ऊँचे-ऊँचे देवदार वृक्षों और शांत वातावरण के बीच बसा है जाखू हनुमान मंदिर। शिमला की सबसे ऊँची चोटी, जाखू हिल पर स्थित यह मंदिर, समुद्र तल से करीब 2,455 मीटर (8,054 फीट) की ऊँचाई पर बना हुआ है।
यह मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा, पौराणिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्वितीय संगम है।
जाखू मंदिर का संबंध रामायण काल से है। मान्यता है कि जब राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे, तब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने हिमालय की ओर उड़े थे। उसी दौरान उन्होंने जाखू पहाड़ी पर कुछ समय विश्राम किया था। कहा जाता है कि उन्होंने ऋषि याकु से संजीवनी बूटी की जानकारी ली और वादा किया कि लौटते समय दर्शन देंगे। लेकिन समय की कमी के कारण वे लौटते समय नहीं आ सके। ऐसे में हनुमान जी की प्रतिमा यहाँ स्वयं प्रकट हुई।
इस घटना के स्मृति स्वरूप यहाँ हनुमान जी का मंदिर स्थापित किया गया।
मंदिर की संरचना सरल है लेकिन हिमाचल की पारंपरिक वास्तुकला को दर्शाती है। लकड़ी और पत्थर से बना यह मंदिर प्राकृतिक वातावरण के अनुकूल है।
मुख्य गर्भगृह में हनुमान जी की प्राचीन मूर्ति विराजमान है।
मंदिर के पास सुंदर 108 फीट ऊँची हनुमान प्रतिमा है, जो दूर से भी स्पष्ट दिखती है।
परिसर में छोटे उद्यान, बैठने के स्थान और एक छोटा कैफे भी है।
लगभग दो साल में निर्मित यह प्रतिमा वर्ष 2010 में प्रतिष्ठित की गई थी। 108 फीट ऊँची यह आकृति ब्राज़ील की 98 फीट ऊँची विश्वविख्यात मूर्ति से भी अधिक ऊँचाई रखती है।
इस प्रतिमा की विशेषता:
यह शुद्ध संकल्प और भक्तिभाव का प्रतीक है।
प्रतिमा को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
इसके आस-पास का वातावरण शुद्ध, शांत और अत्यंत रमणीय है।
जाखू मंदिर तक पहुँचने के मुख्य चार मार्ग हैं:
पैदल यात्रा – मॉल रोड या रिज से लगभग 2 किमी की ट्रेकिंग, जिसमें कुछ चढ़ाई है।
रोपवे – रोपवे की शुरुआत रिज मैदान से होती है और यह सीधे मंदिर के नजदीक तक पहुँचता है। मात्र 5 मिनट की यह यात्रा बेहद मनमोहक दृश्य प्रदान करती है।
टैक्सी / निजी वाहन – रिज के पास से टैक्सी लेकर सीधे मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
घोड़ा / खच्चर सवारी – विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए विकल्प।
रोपवे शुल्क (लगभग):
वयस्क ₹250 (एकतरफा) बच्चे ₹200 (एकतरफा)
मंदिर के आस-पास कई बंदर रहते हैं, जो कभी-कभी पर्यटकों के हाथ से प्रसाद या चश्मे जैसी वस्तुएं छीन सकते हैं। इनसे बचाव हेतु:
चश्मा/मोबाइल को बैग में रखें।
प्रसाद खुले में न रखें।
बंदरों को शांतिपूर्वक व्यवहार करें।
मंदिर सुबह में 6 बजे से रात के 8 बजे तक खुला रहता है।
मंगलवार और रविवार को विशेष भीड़ होती है।
आरती और हनुमान चालीसा पाठ प्रतिदिन किए जाते हैं।
मंदिर से शिमला शहर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
सुबह-सुबह दर्शन करने से शांति और अध्यात्म का अनोखा अनुभव मिलता है।
यहाँ का वातावरण प्राकृतिक ऊर्जा और भक्ति से भरपूर होता है।
यात्रा के लिए सुबह या शाम का समय सबसे उपयुक्त है।
सर्दियों में बर्फबारी के समय विशेष सावधानी रखें।
जूते-चप्पल मंदिर के बाहर स्टैंड पर ही उतारें।
कैमरा और मोबाइल उपयोग मंदिर परिसर में सीमित रखें।
जाखू हनुमान मंदिर, सिर्फ एक मंदिर नहीं, एक आध्यात्मिक यात्रा है — जहाँ हनुमान जी की अपार भक्ति, हिमाचल की संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम होता है।
यदि आप शिमला जा रहे हैं तो जाखू मंदिर की यात्रा को कभी न छोड़ें — यह अनुभव मन, आत्मा और शरीर तीनों को तृप्त करता है।